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सुख, समृद्घि, सौभाग्य दायक है पारद शिवलिंग

महर्षि डॉ. पं. सीताराम त्रिपाठी शास्त्री के विभूति फीचर्स – पारद शिवलिंग की स्थापना से प्राप्त होते हैं भौतिक सुख, दैविक शक्ति और मोक्ष

पारद के पिरामिड और श्रीयंत्र की स्थापना से मनचाहा कार्य सिद्ध होता है, परन्तु पारद शिवलिंग की स्थापना एवं आराधना से साधक न केवल भौतिक सुखभोग कर स्वर्ग-समान आनंद का अनुभव करता है, बल्कि दैवी एवं मानवीय शक्ति का भी संचार होता है। महाशिवरात्रि के दिन पारे का शिवलिंग विधिपूर्वक स्थापित करने से:

  • शिवजी की त्वरित कृपा:
    भगवान शिव, जिन्हें आशुतोष कहा जाता है – यानि जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं – के प्रति श्रद्धा एवं साधना से साधक को तत्काल सिद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • पूजा विधि एवं तांत्रिक साधना:
    शुद्ध, सिद्ध पारद से निर्मित शिवलिंग पर महाशिवरात्रि एवं श्रावण माह में नियमित रूप से बिल्वपत्र चढ़ाना, पंचाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” का 11-माला जाप तथा दुग्ध से अभिषेक करने से साधक को अद्भुत फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।
    यह साधना पारंपरिक तांत्रिक प्रक्रियाओं एवं 16 संस्कारों के माध्यम से की जाती है।

  • जलमग्न शिवलिंग के साथ तुलनात्मक महत्व:
    जलमग्न शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही अश्वमेघ यज्ञ, करोड़ों गोदान और तीर्थों के समान पुण्य प्राप्त होता है, जबकि पारद शिवलिंग की पूजा उससे भी अधिक फलदायी मानी जाती है।

  • पारदेश्वर शिवलिंग एवं घर का परिवेश:
    पारद शिवलिंग की स्थापना से घर में पारदेश्वर शिवलिंग उत्पन्न होता है, जिसके साथ लक्ष्मी, कुबेर, विष्णु एवं अन्नपूर्णा भी निवास करते हैं। इससे घर में धन, धान्य, भूमि, पुत्र, यश एवं दीर्घायु का संचार होता है।

  • सारांश:
    इस कलियुग में पारद शिवलिंग की स्थापना महाशिवरात्रि एवं श्रावण माह में करने से मानव जीवन में सम्पूर्ण सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। रावण समेत अनेकों महान साधकों ने पारदेश्वर की साधना को सर्वोच्च मान्यता दी है, जिससे जीवन के सभी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।

श्लोक एवं मंत्र:

  1. शताश्व मेघेन कृतेन पुप्यंगोकोटिमि:, स्वर्ण सहस्प्रदानात्।
    नृणां भेवत् जलमग्नदर्शन मेन: यत्सर्वतीर्थ पु कृतामिषकात्॥

    (जिस दर्शन से जलमग्न शिवलिंग प्राप्त होता है, वह पुण्य अश्वमेघ यज्ञ, करोड़ों गोदान तथा सभी तीर्थों के समान फल प्रदान करता है।)

  2. केदार दीनी लिंगनि, पृथित्यां यानि थानिचित्।
    तानि दृष्टंवासु यत्पुण्यतत्पुण्यं रसदर्शनात्॥

    (हिमालय के केदारनाथ सहित पृथ्वी पर स्थित सभी पवित्र शिवलिंगों का दर्शन करने से समान पुण्य फल प्राप्त होता है।)

  3. रसविधा, पराविधा, त्रैलोक्ये पिं च दुल्र्लभया।
    भूक्ति-मुक्ति करी यास्यात्, तस्मात् यत्नेन गोपयेत॥

    (पारद शिवलिंग की पूजा से प्राप्त रस फलदायी है, जो त्रैलोक्य में दुर्लभ है; इससे भक्ति एवं मुक्ति सुनिश्चित होती है, अतः इसे यत्नपूर्वक संजोए रखना चाहिए।)

  4. रसेन्द्र पारद: राज सूत: सूतराजच्च्।
    शिवतेजो रस षप्त नामन्येनं रहस्य नं॥

    (पारद के ये सात नाम – रसेन्द्र, पारद, राज सूत, सूतराज, सूतक, शिवतेज और षप्त – इसके अद्भुत तेजस्वी गुणों का रहस्य हैं।)

  5. धनं धान्यं धरा पौत्रं पूर्ण सौभाग्य वै नर:॥
    (जिस घर में पारदेश्वर शिवलिंग स्थापित होता है, वहाँ रहने वाले व्यक्ति को धन, धान्य, भूमि, पुत्र एवं सम्पूर्ण सौभाग्य की प्राप्ति होती है।)

  6. पारदेश्वर स्थापित्यं सर्व पाप विमुच्चते।
    सौभाग्यं सिद्घि प्राप्यन्ते पूर्ण लक्ष्मी नर:॥

    (पारदेश्वर शिवलिंग की स्थापना से सर्व पापों का नाश होता है तथा पूर्ण लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।)

  7. किं दारिद्रयं दुख:पाप किं रोग शोकच:।
    पारदेश्वर पदं साक्षात लक्ष्मी पूर्ण सौभाग्य प्राप्यते॥

    (जिस व्यक्ति के जीवन में दारिद्र्य, दुख, पाप या रोग हों, पारदेश्वर शिवलिंग के दर्शन से वह सम्पूर्ण सौभाग्य एवं लक्ष्मी की प्राप्ति कर लेता है।)

  8. पारदेश्वर सिद्घि वै साफल्यं लक्ष्मी च श्रिय।
    कनक वर्षा, धनं पौत्र सौभाग्य वै नर:॥

    (पारदेश्वर की साधना से व्यक्ति को सिद्धि, सफलता एवं लक्ष्मी की पूर्ण प्राप्ति होती है, जैसे कनक वर्षा, धन, पुत्र आदि।)

  9. पारदेश्वर महादेव स्वर्ण वर्षा करोति य्।
    सिद्घिदं ज्ञानदं मोक्ष पूर्ण लक्ष्मी कुबेर य:॥

    (पारदेश्वर महादेव की साधना से स्वर्ण वर्षा, ज्ञान, सिद्धि, मोक्ष तथा लक्ष्मी-कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।)

  10. धर्मार्थकाम मोक्षाख्या पुरूषार्थश्चतुर्विध:।
    सिध्यंति नात्र सन्देहो पारद रस राज प्रसादत:॥

    (मनुष्य के चार पुरूषार्थ – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – पारद शिवलिंग की साधना से संपूर्ण रूप से सिद्ध होते हैं।)

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