
— तराई क्रांति समाचार ब्यूरो
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में चार आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों पर निशाना साधा, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान गई. इस हमले को “कश्मीर रेजिस्टेंस” नामक समूह ने अंजाम दिया और भारत ने पाकिस्तान के समर्थन का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया. घटना के तुरंत बाद भारत सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद किया और राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर ले आया.
घटना का विवरण
22 अप्रैल की दोपहर करीब 12:15 बजे बैसरन घाटी के बाइसरन मेड़ो में स्थित रिसॉर्ट पर चार जिहादी बंदूकधारियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी. बंदूकधारियों ने पर्यटकों से पहचान-पत्र दिखाने के बहाने हिंदू और गैर-स्थानीय होने की शंका पर उन्हें गोलियों से भून डाला. हमले में 26 की संख्या में मासूमों की मौत हुई और दर्जन भर से अधिक घायल हुएजिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया.
हमलावरों का परिचय
भारतीय गृह मंत्रालय का दावा है कि हमले में शामिल “कश्मीर रेजिस्टेंस” समूह पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन से जुड़ा था . इस समूह ने धार्मिक पहचान पूछने के बाद ही आग उगलने की जिम्मेदारी ली, जो हाल के वर्षों में असामान्य था. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पर इसके समर्थन का आरोप लगाया गया है, लेकिन पाकिस्तान ने सभी आरोपों को निराधार करार दिया है.
तत्काल प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और एसओजी ने मिलकर तुरंत इलाके की घेराबंदी कर सर्च अभियान चलाया. सुरक्षा बलों ने चारों ओर से फायरिंग की आवाज सुनकर इलाके में रैपिड एक्शन टीमें तैनात कर दीं और नजदीकी इलाकों में पूरी तरह से अलर्ट लागू कर दिया.
राजनयिक एवं कूटनीतिक कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 23 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ सभी राजनयिक एवं व्यापारिक संबंधों में कटौती का निर्णय लिया . भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद किया, पाकिस्तानी राजनयिकों को 7 दिनों में देश छोड़ने का निर्देश दिया और भारतीय दूतावास में स्टाफ की संख्या को आधा कर दिया. साथ ही, पाकिस्तान को आपूर्ति होने वाली सिंधु जल संधि को तब तक निलंबित रखा जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को पूरी तरह बंद नहीं करता.
सुरक्षा उपाय एवं अभियान
घाटी में अतिरिक्त सशस्त्र बलों की तैनाती की गई है और हेलीकॉप्टर्स के माध्यम से लगातार हवा से निगरानी की जा रही है, स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में आगामी त्योहार और अमरनाथ यात्रा मार्गों पर अतिरिक्त सुरक्षा चौकियां स्थापित की हैं.
पर्यटन पर प्रभाव
पहलगाम को “मिनी स्विट्जरलैंड” कहा जाता था और यहां 2024 में 2.36 करोड़ पर्यटकों ने आगमन किया. हमले के बाद आगंतुकों ने दौरे रद्द कर दिए, जिससे स्थानीय होटलों और ट्रैवल एजेंसियों को भारी आर्थिक क्षति हुई.
राजनीतिक एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने हमले की निंदा करते हुए इसे पाकिस्तान द्वारा समर्थन प्राप्त “कायरतापूर्ण कृत्य” करार दिया और प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की. अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान जारी बयान में उन्होंने हमले की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन में खड़े होने का आश्वासन दिया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुतरेस, यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और ब्रिटिश मंत्री लिसा नंदी ने भी हमले की निंदा की.
पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने पाकिस्तान के मुख्य सेनाप्रमुख जनरल आसिम मुनिर की तुलना ओसामा बिन लादेन से की, और आतंकियों के संहार की वकालत की. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दल्ला ने कश्मीर से पर्यटकों के पलायन को “दुखद” करार दिया और केंद्र से तत्काल सुरक्षा उपायों की मांग की.
आगे का रास्ता
सरकार ने घाटी का दौरा कर रहे मंत्रियों और सुरक्षा अधिकारियों को जांच रिपोर्ट 48 घंटे में सौंपने का निर्देश दिया है. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता के लिए विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र के मंचों को सक्रिय करने की संभावना पर भी विचार चल रहा है. सुरक्षा विशेषज्ञों का मत है कि घटना के पीछे की जड़ें समाप्त किए बिना सामान्यता की वापसी संभव नहीं होगी, अतः आतंकवाद उन्मूलन के लिए द्विपक्षीय सहयोग और विश्वसहयोग जरूरी है.