
— तराई क्रांति समाचार ब्यूरो
आज शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर एक अहम बैठक बुलाई, जिसमें सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने के बाद की रणनीति पर विचार किया गया । बैठक में जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल, जल संसाधन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, साथ ही अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भाग लिया । इस बैठक का मुख्य एजेंडा पाकिस्तान को लिखे गए औपचारिक नोटिस की समीक्षा और आगे के कूटनीतिक–आर्थिक उपायों का निर्धारण था।
बैठक का मकसद
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गृह मंत्रालय ने 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) के फैसलों को लागू करने के कैसे, इस पर संवाद स्थापित करने हेतु यह बैठक बुलाई।
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इस फैसले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी की ओर से सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा को एक औपचारिक पत्र भेजकर संधि के निलंबन की सूचना दी थी।
निर्णय और आगे की कार्रवाई
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बैठक में यह तय किया गया कि सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने के साथ-साथ पाकिस्तान की ओर से कूटनीतिक चैनलों पर जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
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जल संसाधन मंत्रालय ने नोटिस में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिससे संधि के तहत भारत को मिलने वाले अधिकारों का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
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बैठक में बची–खुची योजनाओं को लागू करने, जल उपयोग की वैकल्पिक रूपरेखा विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति पर भी चर्चा हुई।
सिंधु जल संधि का महत्व
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1960 में साइन हुई यह संधि भारत और पाकिस्तान के साझा जल संसाधनों का बंटवारा निर्धारित करती है, जिसमें सिंधु नदी और उसकी चार सहायक नदियाँ शामिल हैं।
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पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि (लगभग 16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी के पानी पर निर्भर करती है, तथा देश का 90% पानी सिंचाई के लिए उपयोग होता है।
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कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे बड़े शहर सिंधु और सहायक नदियों पर निर्भर हैं, साथ ही मंगला और तरबेला हाइड्रो–पावर प्रोजेक्ट्स का संचालन भी इनके जल प्रवाह पर आधारित है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और आगे का परिदृश्य
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पाकिस्तान ने अपने आंतरिक काउंसिल के समन्वय में जवाबी बैठक बुलाने की जानकारी दी, जिसमें वे “उचित प्रतिक्रिया” देने की बात कह रहे हैं।
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इस कदम से द्विपक्षीय व्यापार और कूटनीति ठप हो सकती है, साथ ही सीमा पार तनाव में इज़ाफा होने का जोखिम बढ़ गया है ।
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अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने संयम बरतने की अपील की है, लेकिन दोनों परमाणु-शक्ति देशों के बीच बढ़ते तनाव से क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर चिंता जताई जा रही है।
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