
माँ विंध्यवासिनी: सर्व सौभाग्यदायिनी देवी का दिव्य धाम
माँ विंध्यवासिनी देवी, जिन्हें आद्या महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है, उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के विंध्याचल नगर में गंगा नदी के किनारे स्थित अपने दिव्य मंदिर में विराजमान हैं। यह स्थल भारत के प्रमुख 51 शक्तिपीठों में से एक है और श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
विंध्याचल क्षेत्र में देवी के तीन प्रमुख मंदिर हैं:
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विंध्यवासिनी देवी मंदिर: यह मुख्य मंदिर है जहां माँ विंध्यवासिनी विराजमान हैं। यह मंदिर नगर के मध्य में स्थित है और यहाँ देवी भगवती सुंदर स्वरूप में भक्तों को दर्शन देती हैं।
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महाकाली मंदिर (कालीखोह): मुख्य मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर में माँ काली की पूजा होती है। मान्यता है कि रक्तबीज नामक असुर का वध करने के पश्चात माता काली यहाँ आकर निवास करने लगीं।
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अष्टभुजा देवी मंदिर: मुख्य मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में देवी सरस्वती के रूप में माँ अष्टभुजा की पूजा होती है। यह मंदिर विंध्याचल पर्वत की पहाड़ियों में स्थित है और भक्तों को देवी के आठ भुजाओं वाले स्वरूप के दर्शन कराता है।
विंध्यवासिनी देवी की महिमा का वर्णन महाभारत, पद्मपुराण और श्रीमद्देवीभागवत जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही विंध्यवासिनी देवी की पूजा होती रही है और यह क्षेत्र तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है।
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