
लालकुआँ, उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित माँ अवंतिका मंदिर श्रद्धा और भक्ति का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर स्थित है और स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
इतिहास और मान्यताएँ: माना जाता है कि प्राचीन काल में यह स्थान घने जंगलों से घिरा था, जहाँ वट वृक्ष के नीचे माँ अवंतिका की एक छोटी मूर्ति स्थापित थी। भक्तजन उन्हें ललिता देवी, वन देवी, कोकिला देवी, त्रिपुर सुंदरी आदि नामों से पूजते थे। हिमालय की ओर जाने वाले ऋषि-मुनि भी यहाँ रुककर माँ की आराधना करते थे। हालांकि, मंदिर की स्थापना का सटीक समय अज्ञात है। Focus News
मंदिर की विशेषताएँ: माँ अवंतिका को करुणामयी, दयामयी और ममता का सागर माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि उनकी शरण में आने से सभी प्रकार के संकट, भय, रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। शिव के साथ माँ का पूजन वैभव प्रदान करने वाला कहा गया है। Focus News
पूजा और अनुष्ठान: मंदिर में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ मास के नवरात्रों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कुंवारी युवतियाँ अच्छे पति की कामना से माँ अवंतिका का पूजन करती हैं, जैसा कि रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए किया था। माँ को सिंदूर, चोला और आभूषण चढ़ाए जाते हैं, और घी के दीपक जलाए जाते हैं।
सांस्कृतिक गतिविधियाँ: होली पर्व के दौरान, मंदिर में भक्तिपूर्ण होली गायन का आयोजन होता है, जिसमें महिलाएँ बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं, जिससे क्षेत्रवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया जाता है। Log in or sign up to view+1Pahad Varta (पहाड़ वार्ता)+1
आधुनिक गतिविधियाँ: हाल ही में, शांतिकुंज हरिद्वार से चली दिव्य ज्योति कलश रथ यात्रा माँ अवंतिका मंदिर पहुँची, जहाँ श्रद्धालुओं ने दिव्य ज्योति के दर्शन कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की। Hindustan Hindi News
माँ अवंतिका मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों का भी महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का संगम देखने को मिलता है।