एडवोकेट अमेंडमेंट बिल का विरोध: वकीलों में आक्रोश, देशभर में प्रदर्शन
"एडवोकेट संशोधन विधेयक का विरोध: वकीलों के अधिकारों और न्याय प्रणाली पर असर"
हाल ही में एडवोकेट्स (संशोधन) बिल का कई वकील संगठनों और बार काउंसिल द्वारा विरोध किया जा रहा है। अधिवक्ताओं का मानना है कि यह विधेयक उनके अधिकारों और स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक, 2025 ने वकील समुदाय में व्यापक विरोध और बहस को जन्म दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य एडवोकेट्स एक्ट, 1961 में संशोधन कर कानूनी पेशे में सुधार लाना है, लेकिन कई वकील संगठनों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने इसके कुछ प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
कानूनी शिक्षा में सुधार: विधेयक में कानूनी शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक सलाहकार बोर्ड की स्थापना का प्रस्ताव है, जो भारतीय बार काउंसिल (BCI) के तहत कार्य करेगा। यह बोर्ड कानूनी शिक्षा केंद्रों की मान्यता और पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए जिम्मेदार होगा।
नामांकन और अभ्यास में परिवर्तन: एडवोकेट्स के लिए बार परीक्षा (AIBE) अनिवार्य की गई है, साथ ही उनकी शैक्षिक डिग्रियों का समय-समय पर सत्यापन किया जाएगा। विदेशी कानून की डिग्री धारकों के लिए भी विशेष प्रावधान प्रस्तावित हैं।
बार काउंसिल्स में संरचनात्मक सुधार: विधेयक में बार काउंसिल्स की संरचना में बदलाव, चुनाव प्रक्रिया में सुधार, और केंद्र सरकार द्वारा BCI में तीन सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है।
अनुशासनात्मक प्रावधान: वकीलों के अनुशासनहीन आचरण के लिए कड़े दंड, जैसे ₹3 लाख तक का जुर्माना और अभ्यास निलंबन, प्रस्तावित हैं। साथ ही, वकीलों की हड़ताल और बहिष्कार पर सख्त नियम लागू करने की बात कही गई है
वर्तमान स्थिति
वकीलों के व्यापक विरोध के बाद, कानून मंत्रालय ने एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक, 2025 के मसौदे को वापस ले लिया है और इस पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि कानूनी पेशे में सुधार लाने के प्रयासों में वकील समुदाय की चिंताओं और सुझावों को सम्मिलित करना आवश्यक है, ताकि सुधार प्रभावी और सर्वस्वीकार्य हो सकें।