
गोरखपुर में भास्कर द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में यह खुलासा हुआ कि कुछ हॉस्पिटल मरीजों को खरीदने के जरिए, आर्थिक लाभ के लिए, अवैध तरीके से दाखिल करवा रहे थे। इस प्रक्रिया में अस्पताल के कर्मचारियों और एजेंटों को हर दाखिले पर कमीशन मिल रहा था। खुलासे के तुरंत बाद प्रशासन ने तेज कार्रवाई करते हुए उन 4 हॉस्पिटल के लाइसेंस रद्द कर दिए, जिससे इस अवैध रैकेट पर कड़ी अंकुश लगाई गई।
भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन ने गोरखपुर में चल रही मरीज खरीदने की अवैध प्रक्रिया और कमीशनखोरी के बड़े रैकेट को उजागर किया। यह खुलासा सामने आते ही प्रशासन ने मात्र 10 घंटे के अंदर तेज एक्शन लेते हुए संबंधित हॉस्पिटल के लाइसेंस रद्द कर दिए। इस कदम का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पारदर्शिता और नैतिकता सुनिश्चित करना है, ताकि मरीजों को बेहतरीन और ईमानदार उपचार मिल सके। यह कार्रवाई अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए भी एक चेतावनी के तौर पर सामने आई है कि ऐसी अवैध प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- स्टिंग ऑपरेशन में गोरखपुर से यह खुलासा हुआ कि कुछ हॉस्पिटल आर्थिक लाभ के लिए मरीजों को खरीदने की अवैध प्रक्रिया में लिप्त थे।
- इन हॉस्पिटल में, मरीजों के दाखिले पर अस्पताल के कर्मचारी और मध्यस्थ अवैध कमीशन लेते थे, जिससे अस्पताल के राजस्व में अनावश्यक वृद्धि हो रही थी।
- इस अवैध रैकेट का मुख्य उद्देश्य अस्पतालों को मरीजों की संख्या में छल करने और उससे होने वाले वित्तीय लाभ को प्राप्त करना था।
- खुलासे के तुरंत बाद, मात्र 10 घंटे के अंदर प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई करते हुए उन 4 हॉस्पिटल के लाइसेंस रद्द कर दिए, ताकि इस अवैध प्रथा पर अंकुश लगाया जा सके।
2. यह सब कब से शुरू हुआ:
- हालांकि सटीक तिथि का उल्लेख नहीं किया गया है, रिपोर्टों के अनुसार यह कमीशनखोरी और मरीज खरीदने का रैकेट पिछले कई वर्षों से चल रहा है।
- यह प्रथा धीरे-धीरे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में फैल गई थी, जहाँ अस्पताल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए इस अवैध तरीके का सहारा लेने लगे थे।
- नियामक निगरानी की कमजोरियों और आंतरिक भ्रष्टाचार ने इस प्रकार की प्रथाओं को लंबे समय तक जीवित रखा।
3. इस प्रथा के शुरू होने के कारण:
- आर्थिक दबाव:
अस्पतालों के लिए मरीजों की संख्या बढ़ाना सीधे राजस्व में वृद्धि करता है। आर्थिक लाभ के लालच ने कई अस्पतालों को इस अवैध प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। - कमीशन का लालच:
प्रत्येक मरीज के दाखिले पर मिलने वाला कमीशन, अस्पताल प्रबंधन, एजेंट्स और स्टाफ के बीच इस रैकेट को प्रोत्साहित करने का मुख्य कारण था। - नियामकीय कमज़ोरी:
स्वास्थ्य क्षेत्र में निगरानी और नियंत्रण की कमी ने ऐसी अनैतिक प्रथाओं को लंबे समय तक बढ़ने दिया, जिससे इन गतिविधियों को पकड़ना और रोकना कठिन हो गया।
निष्कर्ष:
भास्कर के इस स्टिंग ऑपरेशन ने स्पष्ट कर दिया कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आर्थिक हितों और भ्रष्टाचार के कारण अनैतिक प्रथाएँ कितनी गहराई तक फैली हुई हैं। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने इस अवैध रैकेट को उजागर करते हुए एक चेतावनी दी है कि ऐसे गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला न केवल अस्पतालों की नैतिकता पर प्रश्न उठाता है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार और कड़े नियामकीय कदमों की आवश्यकता को भी उजागर करता है।