
— तराई क्रांति समाचार ब्यूरो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में वक्फ संशोधन बिल, औरंगजेब विवाद और परिसीमन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी स्पष्ट राय रखी है। उनके अनुसार, समाज किसी भी विषय को उठा सकता है और उस पर चर्चा करना उसका अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब मार्ग का नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया है, जो एक सकारात्मक कदम है।
विवाद की शुरुआत:
हाल ही में कुछ समूहों और व्यक्तियों द्वारा औरंगजेब को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई, जिससे राजनीतिक और सामाजिक विवाद पैदा हो गया। इस मुद्दे पर कई संगठनों और राजनेताओं ने अपनी राय व्यक्त की।
RSS का रुख:
दत्तात्रेय होसबोले ने स्पष्ट किया कि गंगा-जमुनी तहजीब की बात करने वाले लोग अगर औरंगजेब को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हैं, तो यह समझने की जरूरत है कि इस तरह के व्यक्तित्व को महिमामंडित करना किस हद तक उचित है। उन्होंने कहा कि इतिहास का अध्ययन करके ही सही निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए।
सरकार का निर्णय:
सरकार ने औरंगजेब मार्ग का नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया, जिससे यह संकेत मिलता है कि देश में ऐसे व्यक्तित्वों को महत्व दिया जाना चाहिए जिन्होंने समाज और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया हो, न कि ऐसे शासकों को जिन्होंने अपने शासनकाल में विभाजन और धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा दिया।
समाज की प्रतिक्रिया:
इस मुद्दे पर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे सकारात्मक बदलाव मान रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीति से प्रेरित कदम बता रहे हैं।
निष्कर्ष:
इस पूरे विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि इतिहास के प्रति समाज की जागरूकता बढ़ रही है और लोग अब यह विचार करने लगे हैं कि किन व्यक्तित्वों को आदर्श माना जाना चाहिए। सरकार और सामाजिक संगठनों की इस विषय पर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि इतिहास का अध्ययन तथ्यों पर आधारित हो और कोई भी निर्णय समाज और देशहित को ध्यान में रखकर लिया जाए।