घर्र-घर्र की आवाज वाला आर्टिफिशियल हार्ट: हजारों जिंदगियां बचाने की उम्मीद, 100 दिन तक जीवित रहा मरीज
मेडिकल साइंस में नई क्रांति, हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है यह कृत्रिम हृदय

आर्टिफिशियल हार्ट: मेडिकल साइंस की नई उपलब्धि
मेडिकल साइंस में एक नई क्रांति आ चुकी है, जो हजारों लोगों के जीवन को बचाने की क्षमता रखती है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल हार्ट विकसित किया है, जो असली हृदय की तरह खून को पंप करता है। खास बात यह है कि यह हार्ट ‘घर्र-घर्र’ की आवाज करता है, जिससे यह पता चलता है कि यह कार्यरत है।
कैसे काम करता है यह कृत्रिम हृदय?
यह बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी से विकसित एक मशीन है, जिसे हार्ट फेलियर के मरीजों के लिए अस्थायी समाधान के रूप में तैयार किया गया है। इसे सर्जरी के माध्यम से इंसान के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है और यह प्राकृतिक हृदय की तरह रक्त संचार करता है।
100 दिन तक जीवित रहा मरीज
हाल ही में एक मरीज को यह आर्टिफिशियल हार्ट लगाया गया था, और वह 100 दिन तक जीवित रहा। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
- मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार था, लेकिन डोनर नहीं मिल सका।
- डॉक्टरों ने कृत्रिम हृदय लगाकर उसे बचाने का फैसला किया।
- यह हार्ट पूरी तरह से मशीन द्वारा संचालित था और घर्र-घर्र की आवाज करता था।
- हालांकि, 100 दिन बाद मरीज की मृत्यु हो गई, लेकिन यह शोधकर्ताओं के लिए एक बड़ा सबक और सफलता साबित हुई।
क्या यह हार्ट ट्रांसप्लांट का विकल्प बन सकता है?
फिलहाल यह हार्ट अस्थायी समाधान के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन वैज्ञानिक इसे लंबे समय तक उपयोगी बनाने के लिए शोध कर रहे हैं।
- अगर इसे बेहतर और अधिक टिकाऊ बनाया जाता है, तो यह हार्ट ट्रांसप्लांट का एक स्थायी विकल्प बन सकता है।
- इस तकनीक से उन मरीजों को जीवनदान मिल सकता है, जिन्हें समय पर हार्ट डोनर नहीं मिल पाता।
फिलहाल की स्थिति और अगला कदम
- वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक में अभी और सुधार की जरूरत है।
- आने वाले वर्षों में इसे लंबे समय तक चलने वाला आर्टिफिशियल हार्ट बनाने की दिशा में काम किया जाएगा।
- अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो यह हार्ट फेलियर के मरीजों के लिए वरदान बन सकता है।
निष्कर्ष: एक नई क्रांति की शुरुआत
यह नया आर्टिफिशियल हार्ट मेडिकल साइंस में नई संभावनाओं को जन्म दे रहा है। अगर इसमें और सुधार किया जाए, तो यह तकनीक हजारों लोगों की जिंदगी बचा सकती है। हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों के लिए यह एक नई उम्मीद की किरण है।
तराई क्रांति न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट