
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने मार्च 2025 की शुरुआत में मुगल शासक औरंगजेब के संबंध में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे और उन्हें एक क्रूर शासक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि संभाजी महाराज के प्रति औरंगजेब का रवैया सत्ता संघर्ष का परिणाम था, न कि हिंदू और मुसलमानों के बीच संघर्ष का।
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आजमी से माफी की मांग की और उन पर देशद्रोह का मामला चलाने की बात कही। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी आजमी की आलोचना करते हुए इसे भारतीय समाज का अपमान बताया।
बढ़ते विरोध के बीच, अबू आजमी ने 4 मार्च 2025 को अपना बयान वापस लेते हुए कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि उनके बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो वे अपने शब्द वापस लेते हैं।
हालांकि, इस विवाद के बाद अबू आजमी को जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं और उनकी जान को खतरा है। उन्होंने पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन करने की बात कही और कहा कि यदि उन्हें कुछ होता है तो सरकार जिम्मेदार होगी।
इस प्रकार, औरंगजेब पर दिए गए बयान से उपजे विवाद और जान से मारने की धमकियों के चलते अबू आजमी ने अपना बयान वापस लिया। उन्होंने कहा कि धमकियों के कारण उन्होंने बयान वापस लिया है, यह पूछते हुए कि अब क्या उन्हें मार खानी चाहिए?