सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 के संवैधानिक परीक्षण की सुनवाई के दौरान कानून के तीन विवादित प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने का संकेत दिया, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के समय माँगने पर आदेश की घोषणा स्थगित कर दी गई
पृष्ठभूमि
वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 को संसद ने 4 अप्रैल 2025 को पारित किया तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ 5 अप्रैल 2025 से लागू किया गया
इस कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए करीब 72 याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं, जिनमें AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और अन्य राजनीतिक दल शामिल हैं Live Law।
सुनवाई में मुख्य मोड़
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ (न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन एवं न्यायमूर्ति संजय कुमार) ने बुधवार को अधिवक्ताओं से तर्क‑तर्क सुनने के बाद कानून के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई The Indian Express।
जब पीठ अंतरिम आदेश पारित करने जा रही थी, तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अधिक समय की माँग की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
तीन प्रमुख विवादास्पद बिंदु
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“वक्फ बाय यूजर” का डिनोटिफिकेशन:
अदालत ने संकेत दिया कि जिन्हें न्यायालय ने ‘वक्फ बाय यूजर’ या ‘वक्फ बाय डीड’ घोषित किया है, उन्हें अधिनियम के तहत डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। -
गैर‑मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति:
नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर‑मुस्लिमों को शामिल किया जाना विवाद का विषय बना हुआ है; पीठ ने सुझाव दिया कि केवल पदेन (ex‑officio) सदस्यों के रूप में ही गैर‑मुस्लिम नियुक्त किए जा सकते हैं, अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए । -
कलेक्टर की शक्तियाँ:
अधिनियम में जिलाधिकारी को वक्फ संपत्ति का पुनर्वर्गीकरण करने का प्रावधान है, जिसे लेकर आशंका है कि जमीनें जबरन वक्फ से मुक्त की जा सकती हैं; कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान पर सुनवाई तक रोक लगी रहेगी ।
संभावित अंतरिम आदेश
पीठ इन तीनों बिंदुओं पर अस्थायी रोक लगाने का विचार कर रही है, जिससे सुनवाई पूरी होने तक मौजूदा स्थिति बनाए रखी जा सके ।
आगे की सुनवाई
सुनवाई गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजे पुनः चलेगी, जब सरकार अपना विस्तृत जवाब प्रस्तुत करेगी और पीठ संभवतः अंतरिम आदेश पारित कर सकती है ।
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