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खेलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: चुनौतियाँ और समाधान

भारतीय महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ, भागीदारी में वृद्धि, और आगे की राह

खेलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: चुनौतियाँ और समाधान

भारतीय समाज में महिलाओं की खेलों में भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हाल के वर्षों में, हिमा दास, मैरी कॉम, विनेश फोगाट, दुती चंद, और पी.वी. सिंधु जैसी खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण सफलताएँ हासिल की हैं।

महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ:

  • हिमा दास: असम की हिमा दास ने 2018 में IAAF वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।

  • मैरी कॉम: मणिपुर की मैरी कॉम छह बार की विश्व चैंपियन बॉक्सर हैं और उन्होंने ओलंपिक में कांस्य पदक भी जीता है।

  • विनेश फोगाट: हरियाणा की विनेश फोगाट ने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीते हैं और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया है।

  • दुती चंद: ओडिशा की दुती चंद भारत की सबसे तेज़ महिला धावक में से एक हैं और उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं।

  • पी.वी. सिंधु: तेलंगाना की पी.वी. सिंधु ने 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक और 2019 में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

भागीदारी में वृद्धि:

खेल मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2020 के बीच खेलो इंडिया गेम्स में महिला खिलाड़ियों की भागीदारी में 160% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 2016 रियो ओलंपिक में भारतीय दल में महिलाओं की भागीदारी 46.15% थी।physicaleducationjournal.net

चुनौतियाँ:

  • सामाजिक बाधाएँ: कई परिवार और समाज के लोग लड़कियों को खेलों में भाग लेने से हतोत्साहित करते हैं, जिससे उनकी भागीदारी सीमित होती है।British Journal of Sports Medicine

  • संसाधनों की कमी: महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में कम वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण सुविधाएँ मिलती हैं, जिससे उनकी प्रगति बाधित होती है।

  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: खेल स्थलों तक पहुँचने में सुरक्षा की चिंताओं के कारण कई लड़कियाँ खेलों में भाग लेने से कतराती हैं।multieducationjournal.com

  • मीडिया कवरेज की कमी: महिला खेलों को मीडिया में कम स्थान मिलता है, जिससे उनकी उपलब्धियाँ और संघर्ष कम लोगों तक पहुँच पाते हैं।

समाधान:

  • परिवार और समाज का समर्थन: परिवारों को चाहिए कि वे लड़कियों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें और उनकी रुचि को समझें।

  • सरकारी पहल: राज्य और केंद्र सरकारों को महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष योजनाएँ और सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए, जिससे वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें।

  • सुरक्षा उपाय: खेल स्थलों तक सुरक्षित परिवहन और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि लड़कियाँ बिना किसी भय के खेलों में भाग ले सकें।

  • मीडिया का सहयोग: मीडिया को महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियों को प्रमुखता से कवर करना चाहिए, जिससे समाज में उनकी पहचान बने और अन्य लड़कियाँ प्रेरित हों।

अंत में, खेलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी समाज में सकारात्मक परिवर्तन का संकेत है। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं, लेकिन सही समर्थन, संसाधन, और समाज की सोच में बदलाव के साथ, भारतीय महिलाएँ खेलों में नई ऊँचाइयाँ छू सकती हैं।

विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
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